हिन्दी व्याकरण कारक (Case)| Hindi Vyakran Karak

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आज हम जानेंगे हिन्दी व्याकरण कारक (Case) के बारे में। हिन्दी व्याकरण की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है , जिसे हम हर जगह प्रयोग करते है।  जैसे की हर रोज किसी के साथ बात करने के लिए।  हिंदी भाषा पर पकड़ ज़माने के लिए , हिन्दी व्याकरण की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है।





कारक (Case):-


परिभाषा : संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य पदों (विशेषत: क्रिया ) से जो संबंध होता है, उसे कारक कहते है।

                 दूसरे शब्दों मेंकारक उसे कहते हैं जो वाक्य में आए संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया के साथ संबंध बताती है ।

                 ( वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ क्रिया का सम्बन्ध कारक कहलाता है।)


  जैसे - राम ने रावण को बाण से मारा। 

इस वाक्य में राम क्रिया का करता है, रावण इस मारन क्रिया का कर्म है, बाण से यह क्रिया संपन्न की गई है, अंतः बाण क्रिया का साधन होने से कारक है। 

 

कारक एवं कारक चिह्नहिन्दी में कारकों की संख्या आठ मानी गई है इन कारको  के नाम एवं उनके करक चिह्नों का विवरण इस प्रकार है -

 

 कारक 

 कारक चिह्न 

 कारक 

 कारक चिह्न 

1) कर्ता 

 0, ने 

2)  कर्म 

 0, को 

3) कारण  

 से, के द्वारा 

4) सम्प्रदान 

 को, के लिए 

5 ) अपादान 

 से 

6 ) संबंध  

 का, की, के 

7 ) अधिकरण  

 में , पर 

8 ) संबोधन  

 हे! अरे!



कारण और अपादान में अंतर :- कारण और अपादान दोनों कारको में 'से' चिह्न का प्रयोग होता है किन्तु इन दोनों में मुलभुत अंतर है।  कारण क्रिया का साधन या उपकरण है। कर्ता कार्य संपन्न करने के लिए जिस उपकरण या साधन का प्रयोग करता है, उसे कारण कहते है।  

जैसे - में कलम से लिखता हूँ।

यंहा कलम लिखने का उपकरण है अतः कलम शब्द का प्रयोग कारण कारक में हुआ है। 


उदहारण :अपादान कारक पेड़ में है, पत्ते में नहीं।  जो अलग हुआ है उसमे अपादान कारक नहीं माना जाता अपित जहा से अलग हुआ है, उसमे अपादान कारक होता है।  पेड़ तो अपनी जगह स्थिर है, पत्ता अलग हो गया अतः ध्रुव(स्थिर) वास्तु में अपादान होगा।  

एक अन्य उदहारण : वह गाँव से चला आया।  यंहा गाँव में अपादान कारक है। 

 

कारको की पहचान : कारको की पहचान कारक चिह्नों से की जाती है।  कोई शब्द किस कारक में प्रयुक्त है यह वाक्य के अर्थ पर भी निर्भर है।  सामान्यतः कारक निम्न  प्रकार पहचाने जाते है-


1. कर्ता - क्रिया को संपन्न करने वाला 

2. कर्म - क्रिया से प्रभावित होने वाला 

3. कारण - क्रिया का साधन या उपकरण 

4. सम्प्रदान - जिसके लिए कोई क्रिया संपन्न की जाय। 

5. अपादान - जहां अलगाव हो वहाँ ध्रुव या सिरि में अपादान होता है। 

6. संबंध- जहाँ अलगाव हो वंहा ध्रुव या स्थिर में अपादान होता है होता है। 

7. अधिकरण - जो क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर) आदि का बोध कराये। 

8. सम्बोधन- किसी को पुकार कर सम्बोधित किया जाय। 

 

* वाक्य में कारक संबंधी अनेक अशुद्धियाँ होती है।  इनका निराकरण करके वाक्य को शुद्ध बनाया जाता है। 

  जैसे -

 

 अशुद्ध वाक्य 

 शुद्ध वाक्य 

1. तेरे को कहां जाना है

 तुझे कहाँ जाना है ?

2. वह घोड़े के ऊपर बैठा है।  

 वह घोड़े पर बैठा है। 

3 . में कलम के साथ लिखता हूँ।  

 मैं कलम से लिखता हूँ। 

4. मुझे कहा गया था। 

 मुझसे कहा गया था। 

5. लड़का मिठाई को रोता है।  

 लड़का मिठाई के लिए रोता है। 

6. मैंने आज पटना जाना है।  

 मुझे आज पटना जाना है। 

7. तेरे को मेरे से क्या लेना - देना ?  

तुझे मुझसे क्या लेना-देना

8. सीता से जाकर के कह देना।   

सीता से जाकर कह देना।  

 

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