आजकल तलाक ज्यादा क्यों हो रहे हैं?|aaj kal talaak jyada kyon ho rahe hai?

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तलाक (Divorce)


  आजकल तलाक (Divorce) ज्यादा हो रहे है। पर इसके पीछे काफी रीज़न भी है। आप कैसे लेते हो इस बातको...?


        पहले क्या होता था कि ज्यादा तर लोग गाँवो में बसते थे। समाज, Culture(संस्कृति), सोसायटी बहुत ही छोटी थी। बहोत ज्यादा reserved(आरक्षित) थे वो लोग। फेमिली की टेंशन, फेमिली का डर । जबरदस्ती की शादी बहोत ज्यादा होती थी। सेक्रेफ़ाइस , एजसमेन्ट ये बहोत ज्यादा होता था। वो लोगो को रूल फॉलो करने पड़ते थे। जे से साँस जो कहे वो करो, उठने को कहे तो उठ जावो, बैठने को कहे तो बैठ जावो। ससुर जी पापा समान है, चाहे कितने भी बदमास हो। पति वो तो भगवान है, चाहे काम शेतानोवाला करे। और लड़कों की बात करू तो पहले जो समाज था वो पुरुष प्रधान था। लड़को को वेल्यु ज्यादा दी जाती थी। सेक्रेफाईज़ जो है वह लड़के ज्यादा नही करते थे। बहोत सारे ऐसे भी लड़के होते थे जिन्हें लड़की पसंद नही थी फिरभी जबरदस्ती शादी कर दी जाती थी।और पूरी जिंदगी उन्हें झेलना पड़ता था। पहले के जमाने मे लड़को को भी इतनी छूट नही दी जाती थी।


      आप एक चीज गोर करना अगर आप मेरी बात से सहमत हो तो । पहले के जमाने मे एक लड़का तीन-तीन, चार- चार शादियां करता था। और हर एक बीवी उनके साथ थी। हो सकता है घरमे नही थी। यहाँ वहाँ पर चार- पांच बीवीओ पांच- दस बच्चे भी थे। उन्हें बोलनेवाला कोई नही था। वो लड़का पैसावाला था तो कोई प्रॉब्लम नही था। पांचो बीवीओ को तो संभाल रहे है और क्या चाहिए । पर आज के जनरेशन में पॉसिबल नही है।


      पहले के जमाने मे क्या होता था। लड़ाई जो होती थी, पति- पत्नी के बीच बहोत अन-बन हो गई हो पर घर का जो डोर बेल बजे तो बीवी एकदम से संवर के निकलके जैसे कुछ हुवा ही नही हो। लोग देख के ये सोचते कि कितना खुशाल परिवार है।


    आज के जमाने मे लोगोको इतनी फुरसद कँहा, अपने लिए, अपने परिवार, आस-पड़ोस, अपने रिश्तेदार के लिए समय नही निकाल पा रहे है तो खाक इन सब के लिए समय है।


     आज कल के लड़के पढ़े लिखे इंडिपेंडेंट है और सब डिपेंडेबल है। पहले जो थोपने वाला काम था वो आजकल बहोत कम होते है। लोग आज-कल अपनी पसंद को, खुद को वेल्यु देने लगे है। एजसमेन्ट लोग करते है पर अपनी लाइफ को सेक्रिफाईज नही करते। पर कुछ लोगो को साइड में रखता हूं। क्योंकि जिनका केरेक्टर अच्छा नही है। जो पहले भी अपनी छाप छोड़ते थे। अभी भी अपनी छाप छोड़ते है। उनके लिए शादी करना, संबंध बनाना, उनके लिए सारी चीजे कपड़े बदलना जैसे होता है।


     में उन लोगो की बात नही कर रहा हु। में जेन्युन पर्सन की बात कर रहा हु, जिनके लिए Relationship (सबंध) की भी वेल्यु है। और अपने परिवार की भी वेल्यु है। वो पहले प्रेस्राइज़ थे। वो खुद को बाहर नही ला पा रहे थे।


        पर आजकी जनरेशन (युवा पीढ़ी) ओर सोच दोनो बदल चुके है। इसी वजह से अगर किसी का किसी के साथ एजसमेन्ट नही हो रहा है। तो वह अलग हो जाते है। मुझे नही लगता कि इसमें कोई बुराई है। अगर किसी की दूसरी बार शादी होती है। और दूसरा पर्सन उसकी लाइफ में खुशी से तालमेल बना सकता है। दूसरा पर्सन जो आया है या आई है, जिंदगी को संवार रहा है, तो इसमें कोई बुराई नही है। और वो अपने जिंदगी को हास् खेल कर गुजार रहे है।


     अगर आजकल डिवोर्स(तलाक) ज्यादा होते है तो इसमें भी एक पॉज़िटिव पॉइंट है, की बहोत से लोग सुसाइड (आत्म हत्या) करने से बच जाते है, ओर अपने लाइफ को नये तरीके से शरुआत करने के बारे में सोचते है।


     हर चीज अपनी समझ, विश्वास, एक दूसरे के बारे में समझना, उनकी इच्छाओ को जानना , जो बात समझ ना आये उसे पूछ ते रहना तभी अपनी लाइफ अच्छी तरह से चलती रहती है। जहाँ घर- परिवार होता है, वहाँ पर छोटी छोटी बाते होती रहती है। पर आप उसे किस तरह से देखते है वह बात अपनी सोच पर निर्भर करती है, क्योंकि फैसला अपना होता है तो जिमेदार भी हम होते है।



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