शिक्षा मानव सभ्यता की मूल नींव होती है, जिसके माध्यम से समाज की प्रगति होती है। शिक्षक विद्यार्थी के जीवन में अद्वितीय भूमिका निभाते हैं और उन्हें नये दरबारों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया को आधुनिक शिक्षा सिद्धांत में विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित है:
योजना चरण:
शिक्षण की प्रक्रिया का पहला चरण होता है योजना चरण। इसमें शिक्षक को अपने पाठ्यक्रम
को योजनित करने की आवश्यकता होती है। यह चरण शिक्षक को विद्यार्थियों की उम्र, ज्ञान स्तर, और रूचियों के आधार पर
पाठ्यक्रम की योजना तैयार करने में मदद करता है। एक ठोस योजना बनाने से पाठ्यक्रम
का सही दिशा में प्रसार हो सकता है और विद्यार्थियों की समझ में सुधार हो सकता है।
प्रारंभिक चरण:
इस चरण में, शिक्षक का काम विद्यार्थियों के पूर्वज्ञान, सोच, और रूचियों की समझ को
मापने का होता है। शिक्षक को विद्यार्थियों की मिश्रित शिक्षा स्तर की जांच करनी
चाहिए ताकि वे उन्हें सही स्तर की जानकारी प्रदान कर सकें। यह चरण उनकी शिक्षा की
आधारशिला तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शिक्षण चरण:
यह चरण शिक्षक का मुख्य कार्य होता है, जहाँ
वे विद्यार्थियों को नई जानकारी और विचारों के साथ परिचित कराते हैं। पाठ्यक्रम
के माध्यम से उन्हें नए विचारों और ग्रहण क्षमताओं की प्रोत्साहन देना होता है।
शिक्षक को विद्यार्थियों के सवालों का समय पर उत्तर देने के साथ-साथ उनकी समझ में
सुधार करने का भी काम होता है।
मूल्यांकन चरण:
इस चरण में, शिक्षक विद्यार्थियों के ज्ञान
और समझ की मापन करते हैं। यह उन्हें उनकी प्रगति की जांच करने और उनकी कमियों को
पहचानने में मदद करता है। विभिन्न प्रकार के मूल्यांकन तंत्र जैसे कि प्रश्नोत्तरी, लिखित परीक्षण, और प्रोजेक्ट्स के माध्यम से
शिक्षक विद्यार्थियों के ज्ञान का मूल्यांकन करते हैं।
पुनरावलोकन चरण:
इस चरण में, शिक्षक विद्यार्थियों
के साथ पाठ्यक्रम की समीक्षा करते हैं और उनकी प्रगति का मूल्यांकन
करते हैं। यह चरण शिक्षक को विद्यार्थियों की समझ में सुधार की आवश्यकता की पहचान
करने में मदद करता है, जिससे कि उन्हें आगामी
पाठ्यक्रम के लिए तैयारी करने में मदद मिल सके।
शिक्षण की प्रक्रिया के इन चरणों के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों को सिर्फ
ज्ञान प्रदान नहीं करते हैं, बल्कि उनकी समझ को
स्थायी रूप से बनाते हैं और उन्हें समाज में बेहतरीन स्थिति प्राप्त करने में मदद
करते हैं। यह प्रक्रिया शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें सही दिशा में निरंतरता से आगे बढ़ने की
क्षमता प्रदान करती है।
शिक्षण की प्रक्रिया एक गहरे परिप्रेक्ष्य में विभिन्न चरणों में विभाजित होती
है, जो शिक्षक को विद्यार्थियों के ज्ञान, समझ, और रूचियों के अनुसार उन्हें सही दिशा में पहुँचाने में मदद करते हैं। इन चरणों के
माध्यम से न केवल ज्ञान प्रदान किया जाता है, बल्कि
विद्यार्थियों की समझ को भी स्थायी रूप से बनाया जाता है, जिससे कि वे समाज में सफलता प्राप्त कर सकें।
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