समाज निर्माण में लैंगिक मुद्दे|Samaaj nirman mai lengik mudde

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समाज निर्माण में लैंगिक मुद्दे

 

  समाज के विकास में बालक एवं बालिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है 

 अनेक शिक्षाविदों तथा मनोवैज्ञानिकों का मत है कि सामाजिक तथा शारीरिक आधार पर महिला और पुरुष में भिन्नता है।

 आयु में वृद्धि के साथ ही बालक - बालिकाओं में अनुभव का विकास उनकी बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करता है।

 


 लैंगिक भेद लगभग सभी क्षेत्रों में विद्यमान है जैसे - व्यक्तित्व के विषय में, आयु के विषय में, जाति के विषय में, शिक्षा के विषय में। इन भेदभाव को कम करने के लिए अध्यापक को लिंग-भेद आधारित भावना के विरूद्ध साहसिक कदम उठाना होगा।

 


लैंगिक भेद


 

व्यक्तिगत विभिन्नताएं 

 

  वैयक्तिक विभिन्नता से तात्पर्य एक ऐसी मनोवैज्ञानिक घटना से होता है जो उन विशेषताओं या शिलगुनों पर बल डालता है जिनके आधार पर वैकतिक जीव भिन्न होते दिखाऐ जाते है।

 

वैयक्तिक विभिन्नता को दो श्रेणि में रखा जा सकता है- व्यक्ति के अंदर विभिन्नताएं तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में विभिन्नता ।

 

वैयक्तिक विभिन्नता के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं- शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सांवेगिक विभिन्नता, सामाजिक विभिन्नता, उपलब्धि में अंतर, भाषा - विकास, अभिरुचियों एवं अभिक्षमता में अंतर, यौन विभिन्नताएं, व्यक्तित्व विभिन्नता तथा ज्ञानात्मक एंव क्रियात्मक क्षमताओं में अंतर।

 

वैयक्तिक विभिन्नता के कई कारण हैं जिनमें आनुवांशिकता, वातावरण, प्रजाति एंव राष्ट्रीयता, आयु एवं बुद्धि, परिपक्वता, लिंग तथा आर्थिक स्थिति एंम शिक्षा प्रधान हैं।

 

वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन की विधि है - बुद्धि - परीक्षण, उपलब्धि परीक्षण, संवेग परीक्षण, अभिरुचि परीक्षण, अभिक्षमता परीक्षण एवं व्यक्तित्व परीक्षण।

 


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