भाषा और विचार की प्रक्रिया
भाषा विकास से तातपर्य एक ऐसी क्षमता से होती है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने भावों, विचारो तथा इच्छाओं को दूसरे तक पहुंचाता है तथा दूसरों की इच्छाओं एवं भावों को ग्रहण करता है।
बोलने की तैयारी में क्रंदन, बबलाना एवं हाव-भाव शामिल है।
वास्तविक भाषा की अभिव्यक्ति में आकलन शक्ति, उच्चारण, शब्द-भण्डार इत्यादि शामिल है।
शिक्षा मनोवैज्ञानिकों तथा विकासात्मक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भाषा विकास एक
खास क्रम में होता है। इस क्रम का पहला चरण ध्वनि की पहचान तथा अंतिम चरण भाषा
विकास की पूर्णावस्था है।
बालकों के भाषा विकास कई कारणों से प्रभावित होते है जिनमे बुद्धि, स्वास्थ्य, यौन-भिन्नता, सामाजिक-आर्थिक स्तर, परिवार का आकार, बहु जन्म, एक से अधिक भाषा-उपयोग, साथियों के साथ सबन्ध तथा माता-पिता द्वारा प्रेरणा प्रधान है।
बालकों में दो तरह के शब्दावली विकसित होते है- सामान्य शब्दावली तथा विशिष्ट शब्दावली।
भाषा-विकास में घर पर माता-पिता द्वारा दी गई अनऔपचारिक शिक्षा तथा स्कूल में शिक्षकों द्वारा दी गई अनऔपचारिक शिक्षा का काफी महत्व होता है।
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